मैं आस्तिक हूँ !!

 मैं आस्तिक हूँ !!

मैं लेफ्टिस्ट हूँ, एक कदम आगे सर्वहारावादी हूँ,मैं पुरातन-नव बौद्ध भी हूँ, ईश्वर अस्तित्व, विवाद का विषय हो सकता है लेकिन वेद अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह नहीं, वेद मानता हूँ इसलिए आस्तिक हूँ !


रामायण जलने, कांग्रेस और आप द्वारा मंदिर तोड़ने पर 'विधवा विलाप' करने वाले 'विशिष्ट आस्तिक' भाजपा द्वारा सैकड़ों मंदिरों को तोड़कर कॉरिडोर (वाराणसी, मथुरा )बनाने पर चुप थे! शायद अर्थशास्त्र का धर्मशास्त्र पर अतिक्रमड 'उपयोगितावाद' था !


मैं प्रेम सागर जी की भाषा में मुन्तशिर (बिखरा हुआ) को ना तो 'टपोरी' बोलूंगा और ना ही पत्रकार हर्षवर्धन जी के शब्दों की तरह 'लतियाना' बोल सकता हूँ !

आपके स्वजातीय महान लेखक की फिल्म में अर्धनग्न सीता जी आपकी आराध्य हो सकती हैं ! मेरी तो आराध्य रामानंद सागर जी की ही सीता जी हैं ! हाँ, इससे आहत मत होना ! 

 

हे नव-आस्तिक महा मानव ! शर्महीनता की कोई परिभाषा नहीं खुद में तलाश करो ! 

दिन भर अब्दुल्ला बन कर दीवानगी दिखाने वाले दूसरों के जश्न पर भी तिलमिलाते हैं ... 

धर्म,राष्ट्र,आस्था पर राजनीति करने वाले, जाति-वर्ग-संप्रदाय पर ज्ञान देने वाले हे महाज्ञानी पुरुष पहले जातिवादी संकीर्णता से बहार तो निकल लो!

चालाक होना अलग बात है, खुद को चालक समझना और दूसरों को मूर्ख समझना कौवा चरित्र है....और कौवा हश्र तो पता ही होगा,ज्ञानी जो ठहरे !

ShivBHU

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