नारी...!!

नारी ! बेचारी नहीं, स्त्रीत्व है,मातृत्व है, सतीत्व है !

ढूंढो ! गर ढूँढना है 'नारी' को, तो..

पांव में पड़े छालों में ढूंढो ! चूल्हे में ठंढी पड़ी राख में ढूंढो !
घर की चौखट पर बैठ,शून्य में निहारती सूनी आँख में ढूंढो ! 

गाल पर सरकती, गर्म आंसुओं में पिघलती व्यथा में ढूंढो !
गावँ की दहलीज पर, इंतज़ार में खड़ी बुत की कथा में ढूंढो !

सिसकती,बिलखती,शब्दहीन क्रंदनपूर्ण शोर में ढूंढो !
आदि-अनादिक जगत अस्तित्व के प्रथम छोर में ढूंढो ! 

ढूंढो ! अन्यथा....
ढूँढना पड़ेगा तुम्हे तुम्हारा, चरमराता अस्तित्वहीन अस्तित्व !

नारी न केवल आँचल-श्रद्धा, त्याग-समर्पण और ममत्व है ! 
नारी ! स्त्रीत्व है,मातृत्व है,सतीत्व है!
नारी ! कृतित्व है,शाक्तित्व है,जगत अस्तित्व है !

@ShivBHU

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